Sunday 4 September 2016

ज़िन्दगी को शायद ही इतना खूबसूरत बना पाते , अगर ज़िन्दगी सिखाने वाले गुरु ना होते : अनुज पारीक

ज़िंदगी मे एक सही दिशा का ज्ञान ज़रूरी है और वही दिशा इंसान की दशा बदल देती है 
वह दिशा या राह दिखाने वाले हमारे गुरु होते है जिनकी बदौलत हम जीवन मे कुछ कर पाते है 
आज 5 सितम्बर कहने को तो इस दिन को हम सब  शिक्षक-दिवस के रूप मे मनाते है 
पर शायद ही एसा कोई दिन होगा जो शिक्षक-दिवस ना हो या हमे उनके मार्ग दर्शन की ज़रूरत ना पड़ी हो 
ज़िंदगी के हर मोड़ , हर राह , हर कठिन डगर पर इंसान रूपी उस फरिश्ते ने हमे सही राह और सही दिशा का ज्ञान कराया 
और उन्ही की बदौलत आज हम एक मुकाम पर खड़े है इस जीवन को इस सफ़र को और खूबसूरत बना पा रहे है 
एक शिक्षक सामान्य होते हुए भी मनुष्य को महान बनाने की ताकत रखता है 
आज हम जो भी है जीवन मे जो भी कर पा रहे है या जो मुकाम पाया है 
ये सब संभव हो पाया है तो "गुरु" की बदौलत !
चाहे वो हमारे पहले गुरु माता-पिता हो या शिक्षक ज़रा सोचिए अगर शिक्षक हमे पढना नही सिखाते तो क्या हम अपने शब्दो मे आत्म-विश्वास भर पाते ..?
सही और ग़लत मे अंतर जान पाते 
उनके द्वारा कही कहानियो मे जीवन के कितने सबक छुपे हुए थे ,
ये आज हम समझ पाते है .
अगर ज़िंदगी सिखाने वाले गुरु ना होते तो शायद ही जीवन के गति और विकास का गणित समझ पाते !    
                     
                                          गुरु गोविंद दौऊ खड़े, काके लागू पाय,
                             बलिहारी गुरु आपने , गोविंद दियो बताय !


इस संसार मे गुरु को ईश्वर से भी उच्च स्थान प्राप्त है  हमारे शास्त्रो मे भी कई ऐसे उदाहरण है 
जहा गुरु को ईश्वर से भी महान बताया गया है 
मेरी ज़िंदगी का ये दिन और तमाम दिन ज़िंदगी सिखाने वाले फरिश्तो के सज़दे मे सर झुकाने को बार-बार मन करता है 
जिनके आशीर्वाद और विशेष कृपा दृष्टि फलस्वरूप जीवन मे बहुत अच्छा कर पा रहा हूँ 
                                           
                                                                                                                          अनुज पारीक                                                                                                                                                              https://wordorb.blogspot.in/

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